लधु एवं छोटी इकाइयों को बकाया राशि का भुगतान करना होगा 45 दिन के भीतर
यदि आप लधु या छोटी इकाईयों (Micro or Small Enterprises) से माल या सेवा प्राप्त करते है तो अब आपको उन्हे उसका भुगतान अधिकतम 45 दिन में करना होगा। यह प्रावधान निर्धारण वर्ष 2024-25 यानि वित्तीय वर्ष 2023-24 से प्रभावी किया गया है। इसके लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 43बी में एक नया क्लाज (एच) जोड़ा गया है जो इस प्रकार है-
(h) any sum payable by the assessee to a micro or small enterprises beyond the time limit specified in section 15 of the Micro, Small and Medium Enterprises Development Act, 2006 (27 of 2006)
धारा 43B के तहत कुछ भुगतान की छूट आयकर कानून के तहत तभी प्राप्त होती है जब उनका वास्तविक भुगतान कर दिया जाता है। इस धारा में लधु एवं छोटी इकाईयों को किये जाने वाले भुगतान को भी शामिल किया गया है। यदि इन इकाईयों को निर्धारित समय में भुगतान नहीं किया जायेगा तो यह माना जायेगा कि इन से संबंधित खर्च छूट के योग्य नहीं है तथा उसे आय में जोड़ दिया जायेगा। धारा 43B के तहत निम्न मामलों में छूट तभी मिलेगी जब उससे संबंधित राशि का वास्तविक भुगतान कर दिया गया है-
(a) किसी भी कानून के अन्तर्गत देय टैक्स, ड्यूटी, सैस या फीस चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाये।
(b) एम्पलायर की हैसीयत से कर्मचारियों के प्रोविडेंड फंड, सुपरएनुऐशन फंड या ग्रेचुएटी फंड में किये जाने वाले भुगतान।
(c) कर्मचारियों को भुगतान किया जाने वाला बोनस एवं कमीशन।
(d) किसी पब्लिक फाइनेन्सियल इन्सटीट्यूट या स्टेट फाइनेन्सियल कॉपारेशन या स्टेट इन्डस्ट्रीयल इन्वेसटमेन्ट कॉरपोरेशन के लोन पर देय ब्याज।
(da) किसी भी अधिसूचित बैंक से लिए गये ऋण पर देय ब्याज (निर्धारण वर्ष 2003-04 तक सिर्फ टर्म लोन के ब्याज को ही इसमें शामिल किया गया था। 1 अप्रेल, 2004 से सभी प्रकार के ऋण पर देय ब्याज इसमें शामिल है।)
(e) निर्धारण वर्ष 2002-03 से कर्मचारी की छुट्टियों के बदले देय राशि।
(f) केन्द्र सरकार द्वारा नोटिफाई किये गये नोन बैंकिग फायनेन्सियल कम्पनी से लिए गये ऋण पर चुकाया ब्याज।
(g) करदाता द्वारा भारतीय रेल को रेलवे की सम्पत्तियों का इस्तेमाल करने पर चुकायी जाने वाली राशि।
(h) करदाता द्वारा किसी लधु एवं छोटी इकाई को एक निर्धारित समय सीमा के पश्चात किया जाने वाला भुगतान
धारा 43B में क्लाज (h) जोड़े जाने के कारण अब लधु एवं छोटी इकाईयों को भुगतान निर्धारित समय सीमा में नहीं किया गया है तो उसकी छूट उस वित्तीय वर्ष में प्राप्त होगी जिस वित्तीय वर्ष में वास्तविक भुगतान किया जायेगा।
कौन है लधु एवं छोटी इकाईयां
लधु एवं छोटी इकाइयों की परिभाषा स्माल एवं मिडियम एन्टरप्राइजेज डवलपमेंट एक्ट, 2006 की धारा 7 में दी गई है। इसके अनुसार इसमें प्रोपराइटर शिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म, एच.यू.एफ., एसोसिएशन ऑफ पर्सन, कम्पनी या अन्य कोई लीगल एन्टीटी शामिल होती है।
ऐसी इकाईयां जिनका कुल निवेश 1 करोड़ रु से कम है तथा टर्नओवर 5 करोड़ रु से कम है उन्हे लधु इकाई (Micro Enterprises) माना जाता है। जिनमें कुल निवेश 10 करोड़ से कम है तथा टर्नओवर 50 करोड़ रु से कम है उन्हे स्माल इकाई माना जाता है। इन दोनों प्रकार की इकाईयों को किये जाने वाले भुगतान पर धारा 43B(h) के प्रावधान लागू किये गये है।
कैसे पता करें कौन लधु एवं छोटी इकाई है:-
जिस भी पार्टी के साथ आप माल की खरीद या सेवा की प्राप्ति का कोई लेनदेन करते है उससे लिखित में यह जानकारी मांग ले कि क्या वह लधु एवं छोटी इकाई के रूप में पंजीकृत है या नहीं? यदि वह पंजीकृत है तो उससे सर्टिफिकेट प्राप्त करले तथा यदि वह पंजीकृत नहीं है तो उससे लिखित में ले ले कि वह पंजीकृत नहीं है।
क्या लधु एवं स्माल इकाईयों में ट्रेडर एवं होल सेलर भी शामिल होंगे:-
यदि कोई फर्म लधु एवं स्माल इकाई एक्ट के तहत पंजीकृत है तो चाहे वह ट्रेडर हो या होलसेलर या सर्विस प्रदाता उसे लधु या स्माल इकाई माना जायेगा। इसलिए इस बहस में जाने की बजाय की ट्रेडर इसमें शामिल है या नहीं यह देखना होगा कि सप्लायर फर्म इस कानून में लधु एवं स्माल इकाई के रूप में पंजीकृत है या नहीं। यह देखने का काम कि कौन इसके योग्य है हमारा नहीं है। यदि उसके पास इसके तहत पंजीकरण है तो हमें उसे स्माल या लधु इकाई न मानने का कोई आधार नहीं है।
कितने दिनों में करना होगा भुगतान:-
धारा 43B(h) के अनुसार लधु एवं छोटी इकाईयों को भुगतान माइक्रो, स्माल एवं मिडियम एन्टरप्राइजेज एक्ट, 2006 की धारा 15 के तहत बताई गई अवधि में करना होगा। इस धारा के तहत अधिकतम 45 दिन में भुगतान करना होगा तथा धारा 43B(h) के अनुसार यदि इस अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तो भुगतान अधिकतम वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक यानि 31 मार्च तक किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धारा 43B में लिखा है कि यदि समय के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है तो उस वर्ष में छूट मिलेगी जिस वर्ष में वास्तविक भुगतान किया गया है। इसलिए 31 मार्च तक भुगतान कर देने पर उसी वर्ष में छूट प्राप्त हो जायेगी भले ही भुगतान 45 दिन के पश्चात ही क्यों ना किया गया हो।
क्या अनुमानित आय वाले करदाताओं पर यह नियम लागू होगा:-
ऐसे करदाता जो धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत अपनी रिटर्न प्रस्तुत करते है क्या उन पर यह नियम लागू होगा? इसके लिए हमें इन धाराओं का अध्ययन करना होगा कि क्या इन धाराओं के तहत रिटर्न प्रस्तुत करने वाले व्यवहारियों पर धारा 43B के प्रावधान लागू होते है। यदि हम धारा 44AD को देखे तो इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि धारा 28 से 43C के प्रावधान इन पर लागू नहीं होते है। इसी प्रकार धारा 44ADA का आप्शन लेने वाले व्यवहारियों पर भी धारा 28 से 43C तक के प्रावधान लागू नहीं होते है। इसी प्रकार के प्रावधान धारा 44AE का आप्शन लेने वाले व्यवहारियों पर लागू नहीं होते है।
इस प्रकार यदि कोई करदाता अनुमानित आय के आधार पर धारा 44AD, 44ADA या धारा 44AE का आप्शन लेता है तो उस पर धारा 43B(h) के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
क्या लोन एवं ब्याज पर भी यह प्रावधान लागू होंगे:-
यदि कोई करदाता किसी लधु या छोटी इकाई से कोई लोन लेता है तथा उस पर कोई ब्याज देय होता है तो क्या उस पर भी इस धारा के प्रावधान लागू होंगे या नहीं? यदि हम धारा 43B(h) का अध्ययन करे तो हम पायेंगे कि इसमें कहा गया है कि कोई भी राशि जो माइक्रो या स्माल इकाई को देय है यदि वह निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं की जाती है तो वह उसकी आय में जोड़ दी जायेगी। एम.एस.एम.ई. डवलपमेंट एक्ट, 2006 की धारा 15 में कहा गया है कि यदि कोई क्रेता कोई माल या सेवा प्राप्त करता है तो उसे भुगतान निर्धारित अवधि में करना होगा। ब्याज को एक सेवा माना गया है तथा ब्याज की राशि पर जीएसटी के प्रावधान लागू होते है भले ही ब्याज को कर मुक्त किया गया है। इसलिए यदि लधु एवं छोटी इकाई से कोई लोन लिया गया है तो उसके ब्याज का भुगतान निर्धारित अवधि में करना होगा। लोन की राशि सेवा में शामिल नहीं है केवल ब्याज हीं सेवा में शामिल होता है।
यदि देरी से भुगतान के कारण कोई ब्याज लधु या स्माल इकाई को चुकाया गया है तो उसकी छूट पहले से ही प्राप्त नहीं होती है।
मिडियम एन्टरप्राइजेज पर प्रावधान लागू नहीं:-
निर्धारित समय सीमा में भुगतान करने का प्रावधान लधु एवं स्माल इकाईयों के साथ किये जाने वाले लेनदेनों पर ही लागू होते है। यदि मध्यम इकाई को कोई भुगतान देय है तो उस पर यह प्रावधान लागू नहीं होंगे।
प्रावधान सभी क्रेताओं पर लागू:-
यह प्रावधान सभी क्रेताओं एवं सर्विस प्राप्तकर्ताओं पर लागू होते है जिनकी आय व्यापार एवं पेशे के तहत कर योग्य होती है चाहे वे प्रोपराइटर फर्म हो या पार्टनरशिप या एच.यू.एफ. या कम्पनी या कोई अन्य। इसलिए सभी करदाताओं को इसके दायरे में लिया गया है। यदि आपको किसी भी लधु या स्माल इकाई को कोई भुगतान करना है तो आपको इन प्रावधानों का ध्यान रखना होगा।
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