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Article Dated 23rd February 2021

कृषि आय की कर योग्यता

इनकम टैक्स एक्ट के तहत खेती से आय छूट प्राप्त है। खेती से आय पर कर देय नहीं है। संविधान में खेती से आय पर टैक्स वसूलने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। यद्यपि अकृषि आय पर टैक्स की गणना में कृषि आय को भी जोड़ा जाता है।

खेती से आय का अर्थ क्या है?

इनकम टैक्स एक्ट के तहत निम्रलिखित स्रोतों से हुई आय को कृषि आय माना जायेगा:-

कृषि के लिये भूमि से वसूला गया कोई किराया - करदाता कृषि भूमि से हुई आय अथवा लिये गये किराये पर टैक्स नहीं चुकायेगा यदि उक्त भूमि पर या तो लगान वसूला जाता हो अथवा स्थानीय दर के तहत कर देय हो। साथ ही किराये अथवा अन्य आय की प्राप्ति तथा कृषि भूमि में सीधा संबंध होना चाहिये (उदाहरण के लिये भूमि स्वामी अपने किरायेदार से राजस्व वसूल सकता है)

उक्त भूमि से हुई ऐसी आय उगाई अथवा किराये पर प्राप्त कृषि उपज को बाजार में बेचे जाने योग्य बनाने की प्रक्रियायों से हुई है।

किसी फार्म हाउस से हुई आय यदि भवन भूमि पर अथवा उसके पास स्थित हो तथा उसका उपयोग आवास, भंडार गृह इत्यादि के लिये हो। उक्त फार्म हाउस से हुई आय को कृषि आय माना जायेगा। ‘फार्म हाउस’ में वह भवन आता/आते है जिसका उपयोग कृषि भूमि जोतने वाला तथा उस भूमि से किराया अथवा आय लेने वाला दोनों करते है। उक्त फार्म हाउस का उपयोग मात्र रहने के लिये अथवा सामान रखने के लिये किया जाना चाहिये। किसी भवन से हुई वार्षिक आय को ‘हाउस प्रॉपर्टी से आय’ माना जाता है, परन्तु फार्म हाउस से हुई आय मानी गई कृषि आय होगी, अत: इस पर कर देय नहीं है।

नर्सरी से हुई आय को भी कृषि आय माना गया है, अत: कर मुक्त है।


किसी आय को कृषि आय मानने के लिये निम्र बिंदुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिये।

कोई भूमि होनी चाहिये।

भूमि का उपयोग कृषि कार्यो में हो - कृषि कार्य का अर्थ भूमि से उपज पैदा करने के लिये किये गये कार्यो से है। उपज को बेचने योग्य बनाने के लिये किये गये कार्य भी कृषि आय के दायरे में आयेंगे। जैसे कि वह व्यक्ति जो भूमि से किराये अथवा आय का हिस्सा प्राप्त करता हो, के साथ  काश्तकार भी टैक्स फ्री कृषि आय के योग्य होंगे।

भूमि की बुवाई की जानी चाहिये - कृषि के लिये यह आवश्यक है कि उस पर बुवाई की जानी चाहिये। कृषि के दायरे में सभी उत्पाद जैसे अनाज, फल, चाय, कॉफी, मसाले कमर्शियल क्राप्स, बागान, बागीचा आते हैं। यद्यपि कृषि भूमि पर जानवरों को पालना, मछली पालना, डेयरी तथा मुर्गी पालन को कृषि कार्य नही माना जायेगा।

यदि भूमि से कोई किराया वसूला जाता है तो किराये का कृषि आय के रूप में निर्धारण होने के लिये उक्त भूमि पर कृषि कार्य आवश्यक है।
फार्म हाउस से हुई आय का कृषि आय के रूप में तभी निर्धारण किया जायेगा जब फार्म हाउस कृषि भूमि पर ही स्थित हो तथा रहने अथवा भंडार के लिये ही काम में लिया जा रहा हो।

मालिकाना हक जरूरी नहीं है:- एसेसी का किराये अथवा राजस्व से कर मुक्त आय के लिये भूमि में कोई हित (स्वामित्व अथवा रहन) होना चाहिये। यद्यपि कृषि कार्यो के लिये काश्त करने वाला व्यक्ति भूमि का स्वामी नहीं हो सकता है। कोई किरायेदार अथवा उप किरायेदार के रूप में सभी काश्तकारों को कृषक मानते हुए टैक्स से एग्जम्पशन प्राप्त है। साथ ही किसी उपज को बेचने में किये गये कार्यो के कारण हुई आय को भी कर मुक्त माना जायेगा।

कृषि आय मानी जाने वाली आय:-

उखाड़े गये पेड़ों के बेचान से हुई आय।

कृषि भूमि से हुई आय।

फूल तथा लताओं को उगाने से हुई आय।

कृषि कार्य करने वाले फर्म के पार्टनर के हिस्से का लाभ।

कृषि कार्य करने वाली फर्म के पार्टनर की पूंजी का ब्याज।

बीजों के बेचने से हुई आय।

कृषि आय नहीं मानी जाने वाली आय:-

पोल्ट्री फार्मिंग से हुई आय।

मक्खी पालन से हुई आय।

स्वत: उगे पेड़ों की बिक्री से हुई आय।

डेयरी फार्मिग से हुई आय।

खड़ी फसल खरीदना।

कंपनी की कृषि आय में से डिविडेंड।

भूमि पर समुद्र का पानी लाकर नमक बनाने से हुई आय।

खदानों से रॉयल्टी की आय।

मक्खन तथा चीज निर्माण।

फार्म हाउस में टीवी सीरियल की शूटिंग से हुई आय कृषि आय नही है।

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