क्या एक ही मामले में जांच की कार्यवाही
सेन्ट्रल एवं राज्य के अधिकारी कर सकते है - विशेष जानकारी
जीएसटी लागू होने के पश्चात देश में जीएसटी से संबंधित तीन कानून लागू हो गये। पहला इन्टीग्रेटेड गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 दूसरा सेन्ट्रल गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 एवं तीसरा स्टेट गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017। इस प्रकार तीन कानूनों के तहत किस अधिकारी को कार्य करने की क्या शक्ति होगी इसका प्रावधान सेन्ट्रल गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट की धारा 3 के तहत तथा राज्य गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 की धारा 3 तथा इन्टीगे्रटेड गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 की धारा 3 एवं 4 में किया गया है।
सेन्ट्रल गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट की धारा 3 के अनुसार सेन्ट्रल एक्साइज एक्ट के तहत कार्यरत अधिकारी ही सेन्ट्रल जीएसटी के तहत अधिकारी माने जायेंगे। इसी प्रकार राज्य जीएसटी एक्ट की धारा 3 के अनुसार राज्य वैट एक्ट के तहत कार्य करने वाले आधिकारी स्टेट जीएसटी के तहत अधिकारी माने जायेंगे। इन्टीग्रटेड गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 के तहत सेन्ट्रल जीएसटी के तहत अधिकार प्राप्त अधिकारी कार्य कर सकेंगे तथा आईजीएसटी एक्ट की धारा 4 के अनुसार स्टेट जीएसटी के तहत कार्यक्षेत्र रखने वाले अधिकारी भी यहां कार्यक्षेत्र रख सकेंगे।
व्यवहारियों के अनुसार कार्यक्षेत्र वितरित -
जीएसटी काउन्सिल सैक्रेटेरियट द्वारा सरक्यूलर स. 01/2017-IGST जिसे एफ न. 166/क्रास एम्पावरमेंट/जीएसटीसी/2017 दिनांक 20.09.2017 द्वारा जारी किया गया था उसमें केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच व्यवहारियों को बांटे जाने के संबंध में गाइड लाईन जारी की गई थी ताकि जीएसटी के तहत एक ही अधिकारी का कार्यक्षेत्र रहे।
इन गाइडलाईन्स के अनुसार सभी राज्यों में राज्य स्तर की कमेटी जिसमें सेन्ट्रल एवं राज्य के चीफ कमिश्नर शामिल थे ने मिल कर राज्य में पंजीकृत व्यवहारियों का कार्यक्षेत्र सेन्ट्रल एवं राज्य के अधिकारियों के बीच बांटा था। इस संबंध में सभी राज्यों में व्यवहारियों की लिस्ट जारी की गई थी जो स्टेट वैट की वैबसाईट एवं जीएसटी की लोकल वैबसाईट पर व्यवहारियों को उपलब्ध कराई गई थी।
क्या एक कार्यक्षेत्र में आने वाले व्यवहारी की जांच दूसरा अधिकारी कर सकता है?-
अब प्रश्न यह पैदा होता है कि यदि कोई व्यवहारी राज्य जीएसटी के तहत कार्यक्षेत्र रखता है तो क्या उसके यहां जांच आदि की कार्यवाही सेन्ट्रल जीएसटी का अधिकारी कर सकता है या सेन्ट्रल जीएसटी अधिकारी के कार्यक्षेत्र में आने वाले व्यवहारी की जांच स्टेट जीएसटी अधिकारी कर सकता है?
यदि एक व्यवहारी पर कार्यक्षेत्र तो स्टेट जीएसटी के अधिकारी का है तथा कार्यवाही सेन्ट्रल जीएसटी का अधिकारी करना चाहता है तो क्या वह ऐसा कर सकता है। इस संबंध में स्टेट जीएसटी एवं सेन्ट्रल जीएसटी एक्ट की धारा 6(2) को देखना होगा। इस प्रावधान के अनुसार यदि किसी राज्य जीएसटी अधिकारी ने किसी व्यवहारी के विरूद्ध किसी मामले में कोई कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है तो सेन्ट्रल जीएसटी का प्रोपर ऑफिसर उसी मामले में उस व्यवहारी के विरूद्ध कार्यवाही नहीं कर सकता है। इसी प्रकार यदि किसी व्यवहारी के मामले में सेन्ट्रल जीएसटी के अधिकारी ने कोई कार्यवाही शुरू कर दी है तो राज्य जीएसटी अधिकारी उसी मामले में उस व्यवहारी के विरूद्ध कार्यवाही नहीं कर सकता है।
सामान्यत: जब इन्टेलीजेंस या एन्टी इवेजन से संबंधित कार्यवाही होती है तो जो अधिकारी पूरे मामले को देख रहे होते है वे ही सभी व्यवहारियों पर कार्यवाही करते है। उस समय यह नहीं देखा जाता कि किस व्यवहारी का कार्यक्षेत्र किस अधिकारी के पास है। इसलिए धारा 6(2) में यह स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि कार्यवाही को रोका नहीं जायेगा। यदि दो अधिकारियों ने कार्यवाही शुरू भी कर दी है तो एक अधिकारी दूसरे अधिकारी को जो भी जानकारी उसके पास उपलब्ध है हस्तान्तरित कर देगा।
स्टेट जीएसटी अधिकारी सेन्ट्रल जीएसटी के तहत भी कर सकता है कार्यवाही
सेन्ट्रल गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 की धारा 6(1) में यह प्रावधान किया गया है कि स्टेट जीएसटी या यूनियन टेरेटरी जीएसटी के तहत नियुक्त अधिकारी सेन्ट्रल टैक्स के तहत भी प्रोपर ऑफिसर माना जायेगा।
इसी प्रकार प्रत्येक राज्य के लिए पारित स्टेट जीएसटी एक्ट की धारा 6 में यह प्रावधान किया गया है कि सेन्ट्रल जीएसटी के तहत नियुक्त अधिकारी स्टेट जीएसटी एवं यूनियन टेरेटरी जीएसटी के तहत भी प्रोपर ऑफिसर माना जायेगा।
इस प्रकार एक ही अधिकारी एक व्यवहारी का स्टेट जीएसटी एवं सेन्ट्रल जीएसटी के तहत कार्यक्षेत्र रखेगा। इस प्रावधान का उद्देश्य यह है कि एक व्यवहारी को एक ही निर्धारण अधिकारी को रिर्पोट करना होगा।
महत्वपूर्ण निर्णय
राज्य जीएसटी विभाग द्वारा दिये गये सम्मन पर रोक लगाने के आदेश
पिटिशनर ने राज्य जीएसटी विभाग द्वारा दिये गए सम्मन को चुनौती देते हुए बताया कि उसके विरूद्ध पहले से ही केन्द्रीय जीएसटी विभाग द्वारा कार्यवाही चल रही है, इसलिए राज्य जीएसटी द्वारा अलग से कोई कार्यवाही शुरू नहीं हो सकती है। पिटिशनर के वकील ने धारा 6(2)(b) का हवाला देते हुए बताया कि राज्य जीएसटी विभाग इस मामले में नई कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है।
माननीय न्यायालय ने पाया कि राज्य जीएसटी द्वारा दिये गये सम्मन धारा 6(2) का उल्लंधन है, इसलिए न्यायालय ने राज्य जीएसटी के सम्मन एवं कार्यवाही पर रोक लगाने के आदेश दिए - राज मेटल इन्डस्ट्रीज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2021) 34 टैक्सलोक.कॉम 077 (कोलकाता)
स्टेट अथॉरिटीज के सामने मामला विचाराधीन होने पर केन्द्रीय अथॉरिटीज भी नोटिस जारी कर सकती है
अपीलकर्ता के मामले में स्टेट अथॉरिटीज जांच कर रही है। इसी दौरान सेन्ट्रल अथॉरिटीज ने भी उसे नोटिस जारी कर जाचं के लिए बुलाया। अपीलकर्ता का कहना है कि धारा 6(2)(b) के तहत ऐसा करने पर रोक है। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि इस स्टेज पर कार्यवाही रोकने का कोई औचित्य नहीं है। पिटीशनर को सम्मन के जवाब में आवश्यक डाक्यूमेंट्स प्रस्तुत करने चाहिए तथा जांच में सहयोग करना चाहिए। न्यायालय ने पिटीशनर की पिटीशन को खारिज कर दिया - कुप्पन गाउन्डर पी.जी. नटराजन बनाम डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेली जेंस (2021) 38 टैक्सलोक.कोम 086 (मद्रास)
सम्मन वापस लेने एवं जांच प्रक्रिया बंद करने पर पिटीशन का निपटारा
पिटीशनर को सेन्ट्रल ऑफिस ने सम्मन जारी किया जबकि उस पर स्टेट ऑफिस का कार्यक्षेत्र लागू होता है। विभाग के वकील ने न्यायालय को बताया कि उसे जारी सम्मन को वापस ले लिया गया है तथा जांच प्रक्रिया को बंद कर दिया गया है। इस आधार पर न्यायालय ने पिटीशन का निपटारा कर दिया - कोईग सोल्यूशन प्रा.लि. बनाम भारत सरकार (2021) 38 टैक्सलोक.कोम 060 (दिल्ली)
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